Priyanka Gandhi in hindi . प्रियंका गांधी से क्या कांग्रेस को फायदा होगा ।
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17 अगस्त, 2013 को इलाहाबाद के आनंद भवन में एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने एक पोस्टर लगाया था, जिस पोस्टर पर प्रियंका गांधी की तस्वीर के साथ लिखा था,
मैया रहती है बीमार,
भैया पर बढ़ गया है भार,
प्रियंका फूलपुर से बनो उम्मीदवार,
पार्टी का करो प्रचार, कांग्रेस की सरकार बनाओ तीसरी बार.
प्रियंका जी के राजनीति में प्रवेश को लेकर पार्टी के भीतर एक लम्बे समय से लगातार मांग की जा रही है, और जब 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की पराजय हुई तो यह मांग और भी तीखी हो गई. ऐसे में 2019 के लोक सभा चुनाव के कुछ समय पहले ही कांग्रेस की ओरे से प्रियंका जी को चुनावी मैदान में उतारना कोई नई या बड़ी बात नहीं है।
परन्तु प्रियंका जी के राजनीति में प्रवेश ने समर्थकों में जोश भर दिया है. बनारस में समर्थकों ने पोस्टर लगाते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें यहां से प्रत्याशी बनाने का आग्रह किया है. बनारस प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र है.
मेरे हिसाब से– प्रियंका गांधी जी के आने से कांग्रेस की स्थिति में बहुत बदलाव होगा ये बात दावे से नहीं कही जा सकती, क्योंकि पार्टी का परंपरागत मतदाता भी छिटक चुका है और ज़्यादातर हिस्सों में पार्टी का संगठन भी उतना मज़बूत नहीं है. वैसे भी बीते तीन दशक से उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की हैसियत चौथे नंबर की रही है.
प्रियंका गांधी जी को कांग्रेस ने पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है. ख़ास बात ये है कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी पूर्वी उत्तर प्रदेश से आते हैं.
ऐसे में प्रियंका गांधी जी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार संभालने की जिम्मेदारी देने से ये ज़ाहिर हो रहा है कि कांग्रेस इस क्षेत्र में मुक़ाबले को तिकोना बनाने की कोशिश कर रही है.
आबादी के लिहाज से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बुनकर, मुसलमान, ब्राह्मण, दलित-पिछड़ों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है. और आशा जताई जा रही है की ये समुदाय प्रियंका गांधी जी
के आने से ये लोग कांग्रेस की ओर मुड़ेंगे.
दरअसल आज भी आम लोगों को नेहरू-गांधी परिवार से एक लगाव तो है और प्रियंका गांधी कुछ कुछ इंदिरा जी जैसी लगती भी हैं, तो इसका असर तो होगा.
1999 में बेल्लारी में सुषमा स्वराज के सामने सोनिया गांधी का चुनाव प्रचार एक तरह से प्रियंका ने ही संभाला हुआ था, तब वे बेहद युवा थीं, लेकिन तब देखा गया था कि गैर हिंदीभाषी इलाक़े में लोगों से उनका ज़बरदस्त कनेक्ट था. ऐसे में यूपी में उनके आने से कांग्रेस को नई संजीवनी मिल गई है.
हालांकि अब प्रियंका गांधी को दो बातों के लिए हर पल तैयार रहना होगा:
पहली बात तो यही है कि उन्हें अपने पति राबर्ट वाड्रा से जुड़ी कथित वित्तीय अनियमितताओं (हालांकि ये अभी केवल आरोपों की शक्ल में लगाए जाते रहे हैं) को लेकर ढेरों आरोप झेलने होंगे.
साथ ही राहुल गांधी की कथित नाकामी के चलते राजनीति में अपने सक्रिय प्रवेश को डिफेंड भी करना होगा.

धन्यवाद
Writer and Author:
©Vyom Srivastava
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Priyanka Gandhi in hindi
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